![](https://static.wixstatic.com/media/d34ed4_29d6bfa3d84c4329b5397683132a58e8~mv2.png/v1/fill/w_980,h_551,al_c,q_90,usm_0.66_1.00_0.01,enc_auto/d34ed4_29d6bfa3d84c4329b5397683132a58e8~mv2.png)
नारी सशक्त है! सुनकर अच्छा लगता है ।
" पर जब उसी नारी के सम्मान को पैरों तले रौंदा जाता है।
कोई सशक्तीकरण देने वाला साथ नहीं आता है।
तू है अबला नारी बस यही कहकर टाल दिया जाता है। "
आज मै इन्हीं विचारों के साथ आई हूं ,
ये बोलने को मजबूर हूं कि जब नारी सशक्त है एक घर चलाने मै,जब नारी सशक्त है रुपया कमाने मै, जब नारी सशक्त है भोजन बनाने मै फिर क्यू हम खुश नहीं है उसे वह सम्मान देने मै जिसकी वह हकदार है।
ये लेख मुझे अपने बीते हुए दिनों को याद करवाते हुए कहता है जिस तरह आप मै से कुछ या बहुत सारी महिलाएं ये सोचकर अपने सपनों से,अपनी इच्छाओं से नाता ये कहकर तोड़ देती है कि अब तो मेरा जीवन घर और परिवार के लिए है तब मानो ऐसा लगता है जैसे नारी अपने प्राण त्याग कर निर्जीव होकर जी रही है।
क्यू? किसके लिए! किस भाव से !
हम इतने दानवीर होकर अपनी भावनाओ को अपने ही पैरों तले रोंद देते है और अपनी है किस्मत मै ऐसा लिखा है ये सोच कर तिल तिल मरते हुए जीवन जीने को मजबूर हो जाते है।
जबकि मेरा भी मन बारिश मै भीगने का करता है।
मेरा मन भी बच्चो जैसे बोलने का लाड़ लड़ने का करता है।
मेरा मन भी चाहता है कि कभी कभी मै भी कुछ ना करू मन मर्ज़ी करू !
फिर क्यों फ़र्ज़ समझकर सब भावनाओ से मुंह मोड़ लेते है।
आज अगर खुद के लिए नहीं जिए तो कोई हमे जीने नहीं देगा। खुद के लिए खुश नहीं रहे तो कल कोई खुश रहने नहीं देगा। इसलिए कल क्या होगा सोचेंगे तो कैसे जियोगे ,आज जैसे जीना है जियो। बातें तो मन मर्ज़ी नहीं करके भी सुननी पड़ती है तो मन की इच्छा पूरी करके क्यू नही।।।
मेरा लेख किसे को कमजोर या बगावत करने के सिद्धांत पर आधारित नहीं है। सिर्फ कोशिश है की जो खुशी हम बाहर ढूंढने निकले है वह तो हमारे अंदर है है,जरूरत है तो सिर्फ एक कदम बढ़ा कर उन्हें पूरा करने की । इन्हीं विचारों को यही समाप्त करते हुए आपसे आज्ञा लेती हूं।
आपकी अपनी
वंदना जग्गी
If you are a mom and want to share your write-up. We would love to have you in our moms' group - themomsorchid or mail us at themomsorchid@gmail.com
Comentarios